Monday, 27 February 2012

पुलिसिया पिदाई रै पछै लाग्यौ धरणो।

21 फरवरी, 2012 नैं जगत मायड़ भासा दिवस रै मौके सचिवालय रै कनै उ़़द्योग मैदान में मरूवाणी संघ कांनी सूं दिरीज्यौ धरणो हरमैस चैते रेवेला। धरणो लागण सूं पैली व्ही पुलिसिया पिदाई आप लोगां रै निजर छै सा! जयपुर में कमिस्नरेट प्रणाली लागू व्हियां पछै धरणा-परदरसण री मंजूरी पुलिस कमिश्नर रै दफतर सूं मिळै अर इण खातर दस दिन पैली दरखास्त दिरीजै। म्है अेक दिन पैली मेल सूं दरखास्त भेजी पुरूषोतमजी सारस्वत कनै अर वां सूं आ ताकीद करी कै वै बनीपार्क कलैक्टरेट दफतर में जावै अर दरखास्त री अेक पड़त वांनै देयदे अर मोहर छाप लगायनै अेक पड़त पाछी लेय आवे। वै गया पण आगे दफतर बंद। क्यूंकै इण दिन शिवरात रै कारण सरकारी छुटटी ही पण आ बात किणी रै ध्यान में आई कोनी। राजंस्व्थानी में लिख्योड़ी दरखास्त री मूळ फड़द आप लोगां रै निजर है सा!
जै राजस्थान जै राजस्थानी

मायड़ भासा राजस्थानी नैं ठावी ठौड़ दिरावण में आगीवाण -  मरूवाणी संघ

आगले दिन लोग जयपुर में पूगणा सरू हुग्या। म्हारै शंकरसिंघजी बज्जू दिनूंगै सुणी सचिवालय रै बारकर घेरा घालणा सरू कर दीना। म्हैं अर किशोरसिंघ रामा होटल में सिनान-संपाड़ा करण में लागौड़ा हा। शंकरसिंघजी रो फोन आयो कै धरणै री मंजूरी रौ काम करो म्हैं टैंट अर माईक रौ बंदोबस्त करूं। अबै फैरूं पुरूषोतमजी नैं फोन लगायौ तो वै बौल्या कै, "मालकां, म्हनैं तो कोई जरूरी कांम रै कारण डूंगरगढ निकळणो पड़ग्यो"। फैर हरिसिंघजी  अर शंकरसिंघजी नैं कैयो कै आप लोग टैंट अर माईक रौ बंदोबस्त करो, म्है मंजूरी लेय नैं आवां। अबै दिनूंगै री नव बज्यां म्हैं अर किशोरसिंघ दोवूं टुर पड़िया बनीपार्क कलैक्टरेट। तीन दिनां री छुटटी पछै खुल रैयी कलैक्टरेट में च्यारूं कांनी गरदो ही गरदो उडे हो। सगळा कमरा बंद पड़िया हा। अेक कमरियो खुलो मिल्यौ उठै पूछ्यो तो ठा पड़ियो कै आ मंजूरी सरकारी हॉस्टल रै कनै पुलिस कमिश्नर रौ दफतर है उठै सूं ही मिळेला।
फेर ऑटो करियो अर जा पूग्या कमिश्नर रै दफतर। उठै तपास करी तो ठा पड़ियो कै इंटेलीजेन्स रै कमरा नं. 29 में इण री मंजूरी मिळेला। म्है दोवू 29 नं. कमरै रै आगे पूग्या तो उठै ताळो लटक रैयो हो। आसै-पासै रा कमरा अेक-अेक करनै खुल रैया हा, पण 29 न. कमरो तो खुलण रौ नांव ही कोनी लेवे। दस बजण लाग रैयी है अर म्है दोवूं उडीकता-उडीकता काया हुयग्या। छेवट सवा दस बजी 29 न. कमरे रौ ताळो खुल्यो अर म्हां दोवां रै मूंडै माथै मुळक वापरगी। झट देणी म्हैं वा दरखास्त सांमी करी अर सगळी विगत बताई तो वै बोल्या आप उपर 72 न. कमरे में जावो, आपरो काम उठै ही व्हैला। फैर 57 पगोतिया उपर चढ’र 72 नं. कमरे में पुग्या जठै कोई रविन्द्रसिंघ नांव रौ मिनख मिल्यौ जिकौ म्हारी दरखास्त देख’र कैयो आपनैं मिनी सचिवालय रै तीजे माळै माथै पुलिस उपायुक्त (पश्चिम) रौ दफतर छै उठे जावणो पड़ेला, आ मंजूरी वै ही दे सके।
फैर कांई? मरतो कांई नीं करे। पाछा बनीपार्क सारू ऑटो करियो अर जा पुग्या तीजे माळै पुलिस उपायुक्त (पश्चिम) रै दफ्तर। अठै पूग्या तो वै कैवण लाग्या कै आपनै धरणो सचिवालय रै कनै लगावणो है तो इण री मंजूरी म्है कींकर देय सकां? दूजी बात आप जै कलैक्टरेट माथे धरणो देवणो चावो तो इण री मंजूरी कोनी मिळ सके, क्यूंकै ओ साईलेन्ट जोन छै अर धरणा-पदरसरण री साफ मनाही छै। ओ जवाब सुण’र म्है तो हाक-बाक रैयग्या। फैर वांरै कनै सूं वांरै अधिकारी शरत कविराज (आईपीएस) रा नं. लिया अर वांनै फोन लगायो अर सगळी विगत समझाई। वां भी कैयो कै आप कलैक्टरेट माथै तो धरणो कोनी लगा सको, क्यूंकै ओ साईलेन्ट जोन छै पण हां आप म्हारै छेत्र में दूजी ठौड़ देख-भाळलो, म्हैं आपनै मंजूरी देय देवूंला। वांरौ ओ जवाब सुण’र हथियार नाखता थकां म्हैं भी आ तेवड़ करली कै वगत बीततो जा रैयो छै छोरा सगळा बाट जोवे! कद बाबो आवे नैं बाटी लावे! जठै मिळै उठे ही ठीक है जैपर में पग रोपणा छै तो कीं तो ऊंच-नीच झालणी ही पड़ेला। अबै म्है फैर बारै नीसर्या, अठी-उठी केई लोगां नैं पूछ्यो, केई जाणकार लोगां नैं फोन लगायो पण कोई ठावी ठौड़ बता कोनी सक्यो।
छेवट म्हांनै माधोसिंघ सर्किल दाय आयग्यो अर अठै जाचौ जमावण री चेस्टा करता थकां फैर साब नैं फोन खड़कायो, साब! आप तो म्हांनै माधोसिंघ सर्किल माथै ही धरणो लगावण री मंजूरी देय दिरावो-वै बोल्या-थांनै धरणो सचिवालय रै कनै लगावणो है तो फैर थै इयां करो, म्हैं अठै कमिस्नरेट में बेठो हूं अठै आय जावो, म्हैं आपनै आपरी मनस्या मुजब ठौड़ माथै धरणो लगावण री मंजूरी दिराय देवूंला। म्है दोवूं फैर टुर पड़िया कमिस्नरेट रै दफतर कांनी। साब मिटिंग में अळूझयोड़ा हा, म्है पूछाताछी करनै साब री गाडी रै कनै जायनैं खड़ा हुग्या जठै वांरी कार रौ डलेवर अर गनमेन खड़ा हा। केई ताळ री उडीक रै पछै साब आया अर आंवता ही म्है झट देणी म्हारी दरखास्त वांरै हाथां में पकड़ादी।
वै म्हांनै आव-आदर रै सागै दफतर रै मांय लेयग्या अर राजस्थानी में लिख्योड़ी दरखास्त नैं देख’र घणा राजी व्हिया। अबै वां उण साखा रै पीअे नैं बुलाय’र वांरी सागीड़ी क्लास लेंवता थकां आ ताकीद करी कै इण लोगां नैं हाथूंहाथ मंजूरी देय नैं उण कांस्टेबल नैं म्हारै कनै भेजो जिकौ इणां नैं टरकावण रै मिस गोता घाल्या। अबै म्हारै जीव में जीव आयो। अठीनैं शंकरसिंघजी भी आखता व्हियोड़ा घड़ी-घड़ी फोन करता कै हुकम, टैंट वाळो दो घंटा सूं उडीक रैयो छै बिना पुलिस परमीसन रै वो टैंट कोनी लगावै। म्है कैयो अबै कोई बात कोनी परमीसन म्हारै हाथ में आयगी है-शंकर सिंघजी बोल्या-पण वो तो परमीसन देख्यां बिना मानै ई कोनी।
इण सगळी घाण-मथाण में दुपारै री 2 बजगी ही, केई छोरा जिका दिनूंगै सूं धरणे री उडीक में हा वांरै भी कोचिंग रौ वगत हुग्यो हो, वै टुरणा सरू हुग्या। म्है दोवूं फैर रामा होटल सूं बैनर अर झंडा लेयनै सचिवालय जावण तांई ऑटो में व्हीर व्हिया। अठीनै शंकर सिंघजी रा फोन माथै फोन कै टैंट वाळो उंतावळ करे। फैर सा जिंया-तिंया उद्योग मैदान पूग्या, टैंट वाळे नैं परमीसन देखाई अर टैंट लगावण रो काम सरू हुयो। परमीसन री फड़द अशोक नगर थाणै में भी देवणी ही इण सारू किशोर जी अर अेक दूजे जणे नैं अशोक नगर थाणे व्हीर कर्या। अठीनै वै व्हीर व्हिया कै टैंट लागतो देखतां ही सांमी डयूटी करतो अेक पुलिस जवान बंशीधर आ पूग्यो। वो बोल्यो परमीसन? म्हैं बोल्यो परमीसन अशोक नगर थाणे में भेजाई है वो बोल्यो-म्हैं इणी खातर आयो हूं आप वा फड़द म्हनैं देय देवोला तो भी हुय जावैला। फैर वै बंशीधर जी अशोक नगर थाणै फोन लगायो तो वां कैयो कै आदेश हुग्या है धरणो लगावणदो।
फैर बंशीधरजी सगळी विगत जाण-समझ’र नांव-ठिकाणो पूछ नैं बारै निकळग्या। अठीनैं टैंट लागणो सरू व्हियो तो आंधी अर भतूळ रा उठता गोट भी आपरी हाजरी मांडण में कठै चूकण वाळा हा। फैर टैंट वाळै रै साथै छोरा मिल’र टैंट रौ जाचो जचवायो। अबै बैनर लगावणा सरू कर्या तो अेक नैं लगावां तो दूजो उड ज्यावै। शंकरसिंघजी लाई कठै सूं सोध-सोधार चमचेड़ा लाया अर तजबीज सूं लगावण री खेचळ करी पण बेरण आंधी भी आपरा न्यारा रंग दिखावै ही। आंधी अर भतूळिये रा अे उठता गोट सूं कठैई ओ नीं लागे हो कै म्है गुलाबी नगरी में बैठयां हां। मारवाड़ अर गुलाबी नगरी में कोई आंतरो कोनी दीखै हो। आंधी अर भतूळ रै बिचाळै मायड़ भासा दिवस रै मौके धरणो लगावणिया मायड़ भासा रा हेताळू भी हार मानण नैं त्यार कोनी हा, पण दिनूंगै सूं सरू व्ही आ हाफळ च्यार बजी तांई चालती आपरो मुकाम हासल करै ही।
इणी बिचाळै अेक सीआईडी वाळो फैरूं आ पूग्यो इण धरणे री विगत लेवण नैं। उण नैं सगळी विगत बताय’र फैर चाल पड़यो धरणो आपरी रफतार सूं। म्हैं सगळा राजस्थानी हेताळुवां री इण हूंस नैं सरावंतो कैयो कै ओ आपां रौ पैलो कांम है जिण कारण आप लोगां में फोड़ा पड़या इण सारू माफी चावूं सा! शंकरसिंघजी कैयो कै कोई बात कोनी इतरा फोड़ा पायनैं आपां नैं घणो सीखण नैं मिल्यौ है जिकौ आपांरै आगे काम आवैला। इण सूं आपांरी हूंस बधेला अर आगलौ धरणो सागीड़ो लगांवाला। अेमदाबाद सूं पधारयोड़ा किशोरसिंघजी जिक्का दिनूंगै सूं म्हारै साथै कदमताळ करे हा। वां कैयो कै कीं भी व्हो आपां जैपर में खूंटो तो रोप ही दियो, अबै आपां नैं अठै री सगळी जाण हुगी अबै आपां रा पग पाछा नीं पड़ सके। हरिसिंघजी कैयो कै मायड़ भासा रै खातर कीं भी करण नैं त्यार हां, अे फोड़ा तो कीं कोनी।
इणी मौके मरूवाणी संघ री जयपुर साखा रै गठण री भोळावण जयपुर में रैवणिया गोपाळ गोदारा नैं देंवता थका आ ताकीद करी कै वै आपरी न्यारी जैपर री कार्यकारिणी रो गठण करै अर संगठन नैं मजबूत करण सारू लोगां नें जोड़े अर मायड़ भासा रो कांई मोल है आ बात सावळसर समझावे। इण सगळी रापड़-रोळ रै चालतां मीडीया आद नैं बुलावण अर कार्यक्रम रै कवरेज रै बंदोबस्त कांनी ध्यान ही कोनी गियो। पण जैपर में घरणो लाग ही गियो। मोट्यार परिसद बाकी संभागां में आपरा धरणा लगाया, पण जैपर  में कोई धरणो कोनी लगायो आ कसर मरूवाणी संघ पूरी करदी। इण सारू मरूवाणी संघ लखदाद री हकदार तो छै ई। छेवट वगत री सींव में बंघ्योड़ा नैं पांच बजी ओ धरणो उठावणो पड़ियो। 

जै राजस्थान, जै राजस्थानी।

- विनोद सारस्वत

3 comments:

Anonymous said...

ghano doro pan suno kaaj !!!

किरण राजपुरोहित नितिला said...

jai rajsthani !
itri badhawa pche dhrno laag hi gyo . jai ho Maruwani !!

bot badhaai . o jhujharuupno sda banyo rewela o bhroso bndhyo hai .

किरण राजपुरोहित नितिला said...

jai rajsthani !
itri badhawa pche dhrno laag hi gyo . jai ho Maruwani ri .

o jhujharupno sda bnyo rewela edo viswas hai .