अेक अेक नै क्यूं बताणी पड़े
क थांरी भासा राजस्थानी !
थे उठो थे जागो अब
थांरो फरज राजस्थानी !
निज घर में निज रै थाने
क्यूं अणजाणी है राजस्थानी
मना मना र बात मनवावां
अेड थारै संताना राजस्थानी !
डूंगर री कांई बात करां
पगां नीचली बळै राजस्थानी !
पण सदा न यूं रेसी जी
अब समै बदलै है राजस्थानी !
रीढहीनां है वे लिजलिजा प्राणी
जिका थनै कुरावे राजस्थानी !
चोटी सूं अेक वार आइजै नीचै
ईसो इज समै है राजस्थानी !
वो इज पोछो उठै थरपीजै
चोखो समै है आवै राजस्थानी!
-किरण राजपुरोहित नितिला
5 comments:
म्हारौ मान, म्हारी मरजादा.. अर आपणै राजस्थानी री अस्मिता राजस्थानी.
जै मायड़ मरुधर... जै मरुवाणी
Cheto kholba aali kabita !!!
rajasthani eti mithi bhasa hai phir kiyu en bhasa ne maan ni milsakiyo.kavita chokhi hai.je je rajasthan
rajasthani bhasa bhut hi saras hai.phir en bhasa ne manyata kiyu ni mil saki.kavita bhut bhav purn hai.
rajasthani eti mithi bhasa hai phir kiyu en bhasa ne maan ni milsakiyo.kavita chokhi hai.je je rajasthan
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